कत्थक पारम्परिक भारतीय शास्त्रीय
नृत्यों मैं से
एक है. कत्थक
शब्द संस्कृत शब्द
"कथा" से लिया
गया है। कथा का
अर्थ है कहानी
और संस्कृत में
कहानी सुनाने वाले
को कहते है
"कथक". कथक घूम
घूम कर लोगों
को रामायण, महाभारत
और पुराणों के
किस्से कहानियां नृत्य, संगीत,
और गीतों के
माध्यम से सुनते
थे. भक्ति आंदोलन
(मध्य काल ) के
दौरान कत्थक नृत्य
की उत्पत्ति हुई
, यह नृत्य शुरुआत
में भगवान् कृष्ण
की आराधना के
लिए किया जाता
था कुछ समय
बाद यहाँ राज
दरबारों में पेश
किया जाने लगा।
कत्थक की तीन
परंपरा मिलती है जयपुर,
बनारस, और लखनऊ।
माना जाता है
कत्थक सबसे पहले
बनारस में शुरू
हुआ और वहां
से लखनऊ और
जयपुर में स्थानांतरित
हुआ.